घर की स्त्री-लक्ष्मी

घर की स्त्री-लक्ष्मी

घर की स्त्री-लक्ष्मी

मोना अपने महादेव को भक्ति में लीन होकर बस घर के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरी तन्मयता के साथ करने का प्रयास करती आई है, जिसमें उसने मकान को प्यार से घर बनाया है। इसमें घर की साफ-सफाई से लेकर परिवार के खान-पान, स्वास्थ्य और प्रसन्नता का ध्यान रखने का प्रयास करती है। कभी-कभी तो एक ही समय पर दो कार्य भी करने पड़ जाते है, पर बिना किसी चिंता के वह हर काम कर देती है। आज की आधुनिक नारी घर को संभालने के साथ-साथ अपने पैरों पर भी खड़ा होने का प्रयास करती है। कभी अपने खुद के स्वभिमान के लिए या कभी घर की आर्थिक स्थिति को सुदृण करने में । आज की हर नारी को "सुपर मोम" ही कहा जा सकता है ।

भारतीय समाज में अधिकतर स्त्री वर्ग के लिए "लक्ष्मी" शब्द का प्रयोग किया जाता है। जब घर में नवजात बच्ची पैदा होती है तो उसे लक्ष्मी आगमन का शुभ संकेत माना जाता है। जब घर में नई बहू का गृह प्रवेश करवाया जाता है तो उसे घर की लक्ष्मी यानी गृहलक्ष्मी कहा जाता है।

प्रकृति ने भी उसे ऐसी ही संज्ञा दी है कि उसके बिना संसार की संरचना ही पूर्ण ही नहीं हो सकती है। एक स्त्री किस प्रकार अपने पति का भाग्योदय कर सकती है इस बात का उल्लेख भी हमारे शास्त्रों में किया गया है। स्त्री के शरीर का हर स्थान पवित्र होता है। इसके लिए संस्कृत में एक श्लोक भी है जिसका मतलब है, जहाँ स्त्री की पूजा हो वहाँ भगवान वास करते हैं और जहाँ ना हो वहाँ भगवान गलती से भी नहीं आते हैं।

वाल्मीकि रामायण में एक प्रसंग के अनुसार माँ सीता जब अशोक वाटिका में थी तो उन्होंने त्रिजटा से कहा था कि उनके अंग लक्षण ऐसे हैं कि उनके पति श्रीराम एक दिन राजा जरूर बनेगे, उनका राज्याभिषेक होना तय है। उस दौरान सीता ने महिलाओं के कुछ ऐसे अंग लक्षणों का वर्णन किया था जो उनके पति के भविष्य से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं :
  1. जिन महिलाओं के पैरो में कमल चिह्न होता हैं, उनका पति राजाओं की भाति जीवन व्यापन करता हैं ।
  2. जिन महिलाओं के बाल काले, पतले और सुन्दर होते हैं उनके पति का भाग्य काफी प्रबल रहता हैं ।
  3. जिन महिलाओं की भौंहें धनुषाकार और सुन्दर होती हैं वो अपने पति के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की क्षमता रखती हैं ।
  4. जिन महिलाओं की जंघा रोम रहित होती हैं उनके पति विलासिता वाला संपन्नपूर्ण जीवन व्यापन करते हैं ।
  5. जिन महिलाओं के दाँत मोती सामान सुन्दर होते हैं उनके पति शक्तिशाली और प्रभावी व्यक्तित्व के होते हैं ।
  6. जिन महिलाओं के नाखून गोल और चिकने होते हैं उनके पति इज्जतदार, अमीर, खुशहाल होते हैं ।
  7. जिन महिलाओं का रंग गौर और त्वचा मखमली होती हैं उनके पति में कोई खामी नहीं होती हैं ।
हमारे शास्त्रों में महिलाओं को'लक्ष्मी' सामान बताने वाले गुणों का वर्णन है:
श्री - जो मानसिक तौर पर शुद्ध और पवित्र, ज्ञानवान, तपस्वी (अपने मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य को खराब किए बिना जीवन की समस्याओं का सामना करने की हिम्मत रखने वाली), परमात्मा के प्रति समर्पित व उसमें पूर्ण विश्वास रखने वाली, बेदाग चरित्र वाली, विनम्र, अपने कर्तव्यों व जिम्मेदारियों के प्रति सतर्क, नि:स्वार्थ, अच्छी तरह से अनुशासित व घर पर अनुशासन बनाए रखने वाली, सभी पारिवारिक सदस्यों से प्रेम प्राप्त करने वाली, आदरणीय तथा अपने गुणों के कारण सम्मान प्राप्त करने वाली, अच्छी सलाह देने के कारण जिसे सुना जाता हो, भौतिक आनंदों की बजाय आध्यात्मिक मूल्य देने वाली, मनोविज्ञान को जानने वाली व अपने बच्चों का इस तरह से पालन-पोषण करने वाली ताकि वे मानसिक, वित्तीय के साथ-साथ नैतिक क्षेत्र में लगातार प्रगति करें, सबकी सहायता व दूसरों का कल्याण करने वाली हो, के पास प्राकृतिक खूबसूरती तथा चेहरे पर चमक होगी। उसकी यह खूबसूरती इतनी अधिक प्रभावशाली होगी कि एक सामान्य व्यक्ति उसका सामना करने पर हत्प्रभ रह जाएगा। उसके चेहरे पर आध्यात्मिक शक्ति की चमक उसे एक दैवीय व्यक्ति बना देती है। उसके चेहरे की चमक उसकी पूर्ण संतुष्टि, बल तथा विनम्रता का परिणाम होती है। शारीरिक खूबसूरती धीरे-धीरे मंद होती जाती है जबकि आध्यात्मिक खूबसूरती उसकी उम्र के बढ़ने के साथ और भी बढ़ती जाती है।
बाक : जो महिला चाहती है कि परमात्मा उससे प्रेम करें, उसे खुद को इस तरह विकसित करना होगा कि जिससे भी वह मिले, चाहे एक मिनट के लिए, उसके व्यवहार, आचरण तथा रवैये से प्रेम करने लगे। वेदों के अनुसार, उसे ‘यद्वदामी मधुमत तद्वदामी’ की आदत बनानी चाहिए, अर्थात् ‘जो भी बोलूँगी, उसमें मधुरता होगी’। जिह्वा किसी व्यक्ति को मारने या जीवित रखने में सक्षम होती है। इसमें हड्डी नहीं होती और अत्यंत लचकदार होती है। इसका प्रयोग किसी पर क्रोध निकालने के साथ-साथ ढांढस बाँधने के लिए भी किया जा सकता है। जिनके मन में बुरी भावनाएं भरी होती हैं, जैसे कि द्वेष, क्रोध, ईर्षा व घमंड आदि, वे कभी भी अच्छे शब्द नहीं बोल सकते। ये बुरी भावनाएं उन मधुमक्खियों की तरह हैं, जो केवल डंक मारकर दर्द पहुँचाती हैं। अच्छी भावनाएं, जो मीठे शब्दों का आधार हैं, उन मधुमक्खियों की तरह हैं, जो सभी फूलों से मधु एकत्रित करती हैं और उसे मनुष्यों के लिए संग्रह करती हैं। यह मन ही है जिसमें बुरी अथवा अच्छी भावनाएं होती हैं, अत: अपने मन को इस तरह से प्रशिक्षित करें कि यह बुरी भावनाओं से मुक्त हो।
स्मृति : हमें पता होना चाहिए कि क्या स्मरण रखना है और क्या नहीं। प्रायः लोग कहते हैं कि चोट पहुंचाने वाले शब्दों तथा घटनाओं को भुला पाना कठिन होता है। मगर कुछ क्षण के लिए सोचें कि उन्हें स्मरण रखने का क्या लाभ है। वे बार-बार आपको चोट पहुंचाएंगे तथा आपके मन को कमजोर करेंगे। आपमें मानसिक बीमारियां तथा कमजोरियां विकसित हो जाएंगी, जैसे कि उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रैशर), अवसाद (डिप्रैशन) तथा रक्ताल्पता (अनीमिया) आदि। यदि आप इन्हें अपने मन में संग्रह करेंगी तो ये आपको मार देंगी। इसलिए, अपने ही भले के लिए ऐसी चीजें याद न रखें जो आपको आघात पहुंचाती हैं। अच्छे अध्यापकों, मित्रों, ग्रंथों तथा संतों के अच्छे शब्दों को याद रखें। वे आपको प्रेरणा तथा कठिन समय में मार्गदर्शन देंगे। भगवान वाल्मीकि जी के अनुसार, भगवान श्री राम जी के सर्वश्रेष्ठ गुणों में से एक यह था कि वे सैंकड़ों बुरी चीजें याद नहीं रखते थे लेकिन एक भी अच्छी चीज नहीं भूलते थे, जो उनके साथ की गई हों। ऐसे ही गुणों ने उन्हें महान बनाया।
मेधा : ‘बुद्धि’ एक ऐसी साधारण प्रवृत्ति है जो जानवरों तक में पाई जाती है। बुद्धि से श्रेष्ठ है ‘धी’, जो ज्ञान, कर्म, चिंतन, समीक्षा तथा अनुभव का परिणाम है, मगर फिर भी मेधा श्रेष्ठ है। यह एक ऐसी समझ है जो किसी व्यक्ति को ‘खुद’ को समझने में सक्षम बनाती है और जब उसे अपनी खुद की अनुभूति हो जाती है, तो वह अन्य के मन को समझने में भी सक्षम हो जाती है ।
धृति : अर्थात सहनशीलता, बहादुरी, हिम्मत, उत्साह आदि। जिसके पास यह गुण होता है, वह कभी भी कोई काम हड़बड़ी या जल्दबाजी में नहीं करती या करता। वह धैर्यपूर्वक तथा ठंडे दिमाग से काम लेती है। वह कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लेती, बोलने से पहले अच्छी तरह से विचार करती है। घरों में अधिकतर समस्याएं अधीरता के परिणामस्वरूप होती हैं।
क्षमा : अर्थात सहनशीलता तथा माफ कर देना। बिना उत्तेजित हुए शांतिपूर्वक उसके शब्दों को सुनते हैं और जब वह रुकती है तो बस इतना ही कह देती हैं-‘‘ठीक है, तुम्हारी अच्छी सलाह के लिए धन्यवाद मुझे बहुत अच्छी जानकारी मिली। परमात्मा तुम्हारा भला करे।“ हमारी बहनें, बेटियां ही किसी और घर की गृहलक्ष्मियां बनती हैं। किसी मशहूर आदमी से पूछिए। उनके इंटरव्यू पढ़िए तो पता चलता है कि उन्हें यहां तक पहुंचाने में उनके घर की स्त्रियों की कितनी बड़ी भूमिका रही है। बेशक उसका परिश्रम इस सफल आदमी के पीछे छिप जाता है मगर वह हर कहीं प्रतिबिम्बित होता है। इसके उदाहरण के रूप में सुधा मूर्ति से लेकर नीता अम्बानी तक शामिल हैं। लक्ष्मी पूजा शायद इसी स्त्री की पूजा है। घरों की बेटियों और बहुओं के विकास में अपना योगदान देकर, उन्हें आगे बढ़ाकर देखिए, घर में सुख की रोशनी होगी और समृद्धि की बरसात।

दिनाँक : 24th October 2022
Monika Gupta

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