नवजात शिशु के जीवन मे भावों का महत्व

  • होम
  • लेख
  • नवजात शिशु के जीवन मे भावों का महत्व
नवजात शिशु के जीवन मे भावों का महत्व

नवजात शिशु के जीवन मे भावों का महत्व

मोना जब महादेव की कृपा से माँ बनी तो बच्चों के पालन पोषण को उसने ध्यान से जोड़ दिया, अर्थात यदि वो अपने बच्चे से एक शब्द भी बोल रही है तो चेनतागत है और हर शब्द सोच समझ कर बोला गया है क्योंकि जन्म से 2 वर्ष तक तो बच्चा अपनी माँ के शब्द कोश को बहुत ध्यान से सुन रहा होता है। एक-एक शब्द को आश्चर्यजनक तरीके से सुनने और समझने के प्रयास में होता है। जन्म लेने के तुरंत बाद से बच्चा भावों को ही समझता है, भूख लगी तो रोता है। माँ दूध पिलाती है तो सिर्फ दूध मे ही मग्न, मस्त और खुश। कहाँ रही शब्दों की आवश्यकता। मोना ने अनुभव किया कि ईश्वर ने आपके आने से पहले ही आपके लिए सबकुछ निर्धारित किया होता है। यहाँ सोचिये कि अभी बच्चे को जन्म लिए सिर्फ आधा घंटा ही बीता, प्रकृति ने बच्चे की भूख मिटाने के लिए दूध का प्रबंध माँ के द्वारा कर दिया। माँ के अंदर के प्रेम, करुणा को भी वो बच्चा दूध के साथ ही ग्रहण कर रहा होता है। हम सिर्फ ऊपरी ताल पर देख रहे होते है कि बच्चा सिर्फ दूध पी रहा है। यदि माँ चेनतागत तरीके से दूध पिला रही हैं और बच्चे को अनुभव कर रही है तो माँ और बच्चा अलग नहीं, दोनों एक हो गए, एक मग्नता, मस्ती और ख़ुशी में।

बच्चे के जन्म से 6 महीने तक वह नवजात शिशु माँ के आव-भाव और होठों को देख रहा होता है। वो समझने के प्रयास में होता है कि माँ बोल क्या रही है, यदि उसकी तरफ देख कर बोल रही है, कुछ तो है। पर समझ नहीं पाता। यदि आप ध्यान से देखोगे तो आप पाओगे की आप बहुत खुश होकर, उसकी और देख कर बोलते हो या मुस्कुरा रहे हो तो वो भी मुस्कुरा देगा, क्योंकि वो तो शब्द जानता नही। मोना को याद हैं कि जब वो रात्रि में अपने बच्चे को भजन सुनाती थी तो दोनों मग्न। जैसे ही मोना का गाना रुकता था तो बच्चे का हाथ पैर मारना शुरू, चंचलता भरी नज़रो से माँ की और देखना भी शुरू कि माँ तुम क्यों रुक गई। भजन तो समझ नहीं आता उस बच्चे को, बस उस भजन मे समाया हुआ प्यार, हाथों की कोमलता को अनुभव कर रहा होता है। माँ का मुस्कुराता चेहरा, मन की शांति और आँखों मे प्यार ही उसके लिए सबकुछ है। उसके बाहर वो नवजात शिशु ना तो कुछ समझता हैं और ना उसको कुछ आवश्यकता है।

आजकल के आधुनिक सामाज मे वर्किंग माँ को भी बच्चे के जन्म से 6 महीने तक का अवकाश जरूर लेकर इस अनमोल समय का भरपूर आंनद ले लेना चाहिए क्योंकि माँ का शरीर भी बहुत कमजोर हो जाता हैं। कुछ समय के लिए रुक जाए आपाधापी से, विराम लाये अपने कैरियर में। ये बहुत ही आंनद का समय होता है। समय पैसा नहीं है, समय जीवन है उस नवजात शिशु के लिये।

दिनाँक : 05 October 2022
Monika Gupta

मोनिका जी द्वारा सभी लेख पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक करें। मोनिका जी द्वारा लिखित नियमित रूप से विश्वगुरु समाचार पत्र (नॉएडा से प्रकाशित) में प्रकाशित होती रहती है।

मोनिका जी की अब तक की प्रकाशित पुस्तकें

मोनिका जी की सभी पुस्तकें Google Play, Google Books तथा Amazon Kindle पर ebook में उपलब्ध है, पेपरबैक में पुस्तकें प्राप्त करने के लिए कृपया सम्पर्क करें।
  1. Kalaa Sagar Kids Beginner Guide-1
  2. Kalaa Sagar Kids Landscape Beginner Guide (Oil Pastel)
  3. Kalaa Sagar Kids Painting Guide Part 1
  4. Kalaa Sagar Oil Pastel Guide
  5. Kalaa Sagar Cartoon Guide (For Young Kids)
  6. Kalaa Sagar Painting Guide
  7. Kalaa Sagar Kids Colouring Book Part-1 Learn How to Draw Step by Step
  8. Kalaa Sagar Kids Colouring Book Part-2 Learn How to Draw Step by Step