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इस पुस्तक में लिखी गयी हर कविता मैनें प्रारम्भ में स्वान्त: सुखाय के लिए लिखी थी।
कुछ उस समय की कई जानी मानी पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुईं।
जिससे उत्साह और लेखन के प्रति रुचि बढ़ती गयी। बाल्यकाल से ही लेखन के प्रति विशेष रुचि रही है।
सोचा नहीं था कि कभी इन कविताओं को एक पुस्तक के रुप में भी देखूँगी।
ईश्वर की असीम अनुकम्पा और दीदी राजकुमारी मिश्रा के आशीर्वाद और सहयोग से सफल होने जा रहा है। एक व्यक्ति की चर्चा यदि न करुँ तो शायद कुछ विशेष छूट जायेगा।
मेरे पिताजी श्री मधुसूदन मिश्र जी ने सदैव मेरा सहयोग और उत्साहवर्धन किया।
जिससे आज मैं अपनी कविताओं के द्वारा आप सभी के समक्ष प्रस्तुत होने जा रही हूँ।
देशभक्ति की भावना और शहीदों की कुर्बानी से हर भारतीय नागरिक की तरह मेरा मन भी आहत होता आया है।
उन्हीं भावनाओं से प्रेरित होकर देश के लिए सदैव तत्पर रहने वाले वीरों को श्रद्धांजलि देने का प्रयास किया है।
प्रकृति हमेशा एक नए उत्साह का सृजन करती आई है और स्वयं को मैंने प्रकृति के करीब ही पाया है।जो जब ठीक लगा उसे अपनी कविताओं के द्वारा शब्दों में उतार दिया।
कुछ कविताओं को एक नया रुप देने का प्रयास किया है। मेरी कविताओं में व्याकरण, छन्द, दोहा, चौपाई आदि अन्तर्ध्यान मुद्रा में है। यदि किसी पाठक के अन्तर्मन को ठेस पहुंचती है तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।