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नमस्कार जी !!
आप विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत है मेरी यह नई रचना संग्रह--रस के पल। जीवन के विभिन्न रसों में डूबी रचनाओं को इस पुस्तक में समावेशित किया गया है ।!
जीवन में कुछ पल अत्यंत निरसता के होते हैं और कुछ पल बहुत ही सरसता से सराबोर रहते हैं । इन्ही पलों को काटते-बांटते कोरे पन्नो पर कलम जब मचल उठती है, तब इस प्रकार की रचनाएं सामने आ जाती हैं।!
मानव हृदय सदा से ही प्रेम चाहता है । प्रेम में जीना और मरना हमारे देश की अनमोल परंपरा रही है । भारत का कण कण प्रेम के रस से भींगा हुआ है ।!
आज का युवा भी प्रेम में ही जीना चाहता है । सरसता और समरसता से समाज में रहने को व्याकुल है । लेकिन समय -काल चक्र के अनुसार उसके जीवन में भी सरसता के साथ निरसता भरी परिस्तिथियाँ उपजते रहती हैं ।!
आज तो प्रेमी जोड़ों का बाहर भ्रमण करना भी अभिशाप से कम नहीं है । कभी बेरोजगारी तो कभी समाज और मौसम की निरसता झेलनी पड़ती है ।!
हमारे भीतर ही विष और अमृत दोनों विराजमान हैं । इन्ही विष और अमृत का संतुलन करने में जब हम समर्थ हो जाते हैं, तब हमारे समक्ष उत्पन्न हो जाते हैं---रस के पल ।!
इस कविता संग्रह में रसभरी रचनाओं के चयन तथा उत्साहवर्धन के लिए प्रिय मित्र आकाश कुमार सिंह, दैनिक जागरण, मयूरहंड के विशेष आभारी हैं । साथ ही सुप्रसिद्ध प्रकाशक बुकबाजुका के स्नेही सदस्यों के आभारी हैं, जिनकी लगन से आप देख पा रहे हैं--रस के पल । !
प्रस्तुत पुस्तक रस के पल में विश्वास है कि आप सभी कुछ न कुछ जरूर प्राप्त कर सकेंगे । आपके अनमोल सुझावों का हृदय से स्वागत रहेगा ।!