Antarnaad by Pankaj Bhushan Pathak

अंतर्नाद

पंकज भूषण पाठक "प्रियम"

"अंतर्नाद" देश काल और समाज का असली चेहरा दिखाता दर्पण है। रोज की घटनाओं से आजिज हर दिल से निकली चीत्कार है। समाज का विद्रूप चेहरा है, भूख बेरोजगारी से मरने की लाचारी है। भूख में जिस्म बेचने की मजबूरी है। कुर्सी सत्ता और सियासत की डर्टी पॉलिटिक्स है। धरती और पर्यावरण की करुण गाथा है। पाकिस्तान का नापाक आंतकी इरादा है। रिश्तों की टूटी मर्यादा है। वोटतंत्र, नोटतंत्र के बीच देशभक्ति की रसधार है। देश समाज को बचाने की ईश्वर से पुकार है।

सोये देश को जगाने का शंखनाद करती अंतर्नाद में हास्य व्यंग्य का भी समावेश है ताकि बोझिल मन को हंसी के ठहाकों से चन्द पलों की खुशी मिल जाय। उम्मीद है हास्य और व्यंग्य का गुलदस्ता आपके मन को सुकून देगा। आपके प्यार और बहुमूल्य विचार का रहेगा इंतजार.....

आपका
पंकज भूषण पाठक "प्रियम"

  • In LanguageHindi
  • Date Published 31st January 2018
  • ISBN"978-93-86895-25-7"
  • GenrePoetry
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