ab na rukungi

अब न रुकूंगी

मीना शर्मा

सर्वप्रथम आभार पूज्य माता-पिता का जिनके बिना मेरा आस्तित्व ही नहीं होता, योग्यता की बात तो दूर ! अपने सभी गुरुजनों का भी हार्दिक आभार।
आभार मेरे भाई-बहनों का, जिन्होंने मेरे व्यक्तित्व को निखारने में हर संभव योगदान व सहयोग दिया। मेरे जीवनसाथी श्री नवलकिशोर शर्मा का आभार, जो अक्सर मेरी रचनाओं के प्रणेता रहे। पुत्र अतुल का भी आभार, जिसका अपनापन मुझे हमेशा नई ऊर्जा से भरता रहा।
परिवार के अन्य सदस्यों से भी सदैव प्रोत्साह नही मिला जिसके लिए मैं उन सभी का धन्यवाद करती हूँ।
मेरे सभी विद्यार्थी जिनको सिखाते-सिखाते मैंने स्वयं बहुत कुछ सीखा, मेरे संगी साथी, कार्यक्षेत्र व बाहर के शिक्षक व ब्लॉग के पाठक जिनकी सराहनाएँ मुझे प्रोत्साहित करती रहीं, प्रकाशन संस्था के कर्मचारी, जिनके सहयोग बिना पुस्तक प्रकाशित ही नहीं हो पाती, इन सभी का भी मैं तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ।
अंततः मैं एक ऐसे व्यक्तित्व का उलस्लेख करना चाहती हूँ जिनके निरंतर उत्साहवर्धन और प्रोत्साहन से मेरी लेखनी को सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती रही.. वे हैं हैदराबाद निवासी, हिंदी भाषा से अपरिमित लगाव रखन ेवाले मेरे परम आदरणीय, स्नेहमय श्री माडभूषि रंगराज अयंगर जी। आप स्वयं दशा और दिशा, मन दर्पण, हिंदी प्रवाह और परिवेश आदि पुस्तकों के लेखक हैं।
मेरी रचनाओं पर मार्गदर्शन, प्रोत्साहन एवं हर कदम पर सहयोग देने हेतु मैं श्री एम. आर. अयंगर जी की हृदयतल से सदैव कृतज्ञ रहूँगी।

  • In LanguageHindi
  • GenrePoems
  • Date Published 05th July 2018
  • ISBN978-93-86895-47-9
  • पुस्तक order करने में किसी भी समस्या की स्तिथि में तथा bulk आर्डर के लिए कॉल करें 7844918767 (अर्पित जी) पर