अनंत श्री (Anant Sri)
Anant Sri is one of the most revered, inspiring and visionary Spiritual Masters in the world today. Anant Sri’s profound yet simple teachings, and his humble, compassionate and transforming presence has helped many and continues to help many to experience the vibrantly alive, peace, happiness, love, and harmony in their daily lives. His teaching focuses on the non-doer nature, power of presence and meditativeness.
Anant Sri carries the eternal wisdom of the buddhas which is a simple science of transformation.He is a flowing river of ultimate awakening where we can find the true essence of eternal life.His only concern is the suffering of humanity and end of suffering through the ultimate understanding of our true nature which brings peace, love, happiness and harmony in daily living.
Anant Sri belongs to the Eternity, he does not belong to any new or age old traditions or sects. He is a part of the eternal evolution of the human consciousness. He belongs to the eternal moment of ‘Now’, living in the eternal present.
अनंत श्री एक सम्बुद्ध रहस्यदर्शी हैं जो सम्बुद्ध सदगुरुओं की अनंत धारा में एक खूबसूरत मोड़ की तरह प्रकट हुए हैं। अनंत श्री किसी धर्म या परंपरा से सम्बंधित नहीं हैं। वह धार्मिकता की दिव्य सुगंध से भरे हुए हैं जो किसी भी धर्म से परे है। वो बस बुद्धत्व का शुद्ध प्रकाश हैं। ये प्रकाश बिना किसी भेदभाव या सीमा के सभी को प्रकाशित करता है। उनका जीवन दर्शन व सन्देश कोई सिद्धांत, मत या वाद नहीं है। वह तो रूपांतरण का विज्ञान है।
उनकी देशना आंतरिक रूपांतरण के जीवन दर्शन की सतत प्रवहमान धारा है जो अध्यात्म और विज्ञान के दोनों किनारों के बीच बह रही है। इस जीवनदर्शन को आत्मसात करते ही एक नए मनुष्य, नयी मनुष्यता और नयी अंतर्दृष्टि के जन्म की अनंत संभावनाएं जागृत हो जाती हैं और चेतना की खिलावट प्रारंभ हो जाती है।
अनंत श्री अनंत की पुकार हैं, आलोक आमंत्रण हैं और अनंत पथ के मित्र हैं। वो अस्तित्व की चिरंतन करुणा का कायामय रूप हैं।
यह करुणा कभी कोमल स्पर्श की तरह हमारे प्राणों को सहलाती है और कभी कठोर होकर हमारी कठोरता को चूर चूर कर देती है।
कभी शीतल समीर की तरह यह करुणा हमें गहरे विश्राम में ले जाती है और कभी तेज़ तूफान की तरह हमें भीतर तक झकझोर जाती है।
यह करुणा कभी शुभ्रा ज्योत्स्ना और तारों से झरते सुकोमल प्रकाश की तरह हमारा पथ आलोकित करती है और कभी किसी महासूर्य के तीव्र प्रकाश की तरह हमें चकाचौंध कर जाती है, जिसके पश्चात हम देर तक आँखें मलते रह जाते हैं।
इस करुणा का रूप चाहे जैसा भी हो, इसका उद्देश्य एक ही है – जागरण, परिपूर्ण जागरण। इस करुणा में एक ही भाव निनादित है कि चेतना का सूर्य सबके जीवन में उदित हो और आत्मस्मरण घटे।
अनंत श्री की प्रेमपूर्ण उपस्थिति से ऐसा प्रतीत होता है कि भारत की दिव्य अंतरात्मा एक बार पुनः जीवित हो गयी है। उनके अंतरानुभव से उभरती वाणी का एक-एक शब्द चेतना का दीया बनकर खोजी साधकों के अंधियारे पथ पर जलने लगता है।
उनके माध्यम से प्रकट हुआ अक्षर-अक्षर सम्बुद्ध चेतना के अंतरानुभव से निकला है।
अनंत श्री की आवाज़ में आज के समय की आवाज़ सुनाई देती है। इसमें जीवन के परमबोध का संगीत सुनाई देता है। इस आवाज़ से हमारी नींद टूटती है, स्वप्न विलीन होते हैं और ख़ामोशी से उठती सुगंध की तरह यह एहसास हमें हर ओर से घेर लेता है कि सत्य कभी “था” नहीं होता, सत्य “है”।
उनका होना विशुद्ध वर्तमान में है, इसीलिए ही उनके सान्निध्य में रहते हुए हम सहजता से वर्तमान में रहने की कला सीख लेते हैं। उनके शब्द हमें निःशब्द की ओर ले जाते हैं, उनके विचार हमें निर्विचार की ओर ले जाते हैं और उनकी उपस्थिति हमें शून्यता के आयाम में ले जाती है।
मनुष्य के भीतर विस्मृत हो गए अमृत का स्मरण दिलाने के लिए पुनः एक आध्यात्मिक पुनरुत्थान के अभियान का प्रारंभ उनके माध्यम से हुआ है।
प्रकाशित पुस्तकें
1- पूर्णता से पूर्णता तक