BA Honours by Vikas Singh Gautam

बीए ऑनर्स “कहानी कैंपस की”

Author- विकास सिंह गौतम

कितने छात्र विश्वविद्यालय में घर से सपनें लेकर आते है, लेकिन वो सपनें कब दूसरे सपनों में तब्दील हो जाते हैं। यह एक सुहावना तीन साल का सफर तय करता है। किसी भी विश्वविद्यालय का उद्देश्य सिर्फ विद्यार्थी को अध्ययनरत बनाना नहीं होता है बल्कि यह एक मंच देता है। समाज को समझने का और विकसित करने का अवसर भी मिलता है। विश्वविद्यालय का यह परिसर, जिसमें विविधता में भी चाय की दुकान पर एकता और भिन्न-भिन्न संवाद सुनने को मिलता है, जहाँ अकसर वरिष्ठ लोग भी मिलते है जिन्हें बाबा भी कह दिया जाता है। चाय की दुकान पर इनकी राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता को उपन्यास में दिखाने का प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत उपन्यास में प्रकाश, राजन, संजीव और अन्यपात्रों के माध्यम से दिखाया गया है कि किस तरह से छात्र ग्रेजुएशन के शुरुआती दिनों में किसी लक्ष्य के साथ आते हैं और तीसरे साल तक आते-आते लक्ष्य के साथ भटक जाते हैं।
छात्र जीवन में किस तरह से छात्र-राजनीति नए छात्रों को प्रभावित करती है एवं उसका उनके जीवन में किस तरह प्रभाव पड़ता है। इन सभी पहलुओं को एक कहानी के माध्यम से लोगों तक पहुँचाने की कोशिश की गई है।
पाठक को पुस्तक पढ़ने के दौरान अपने ग्रेजुएशन के दिनों से जोड़ने का प्रयास भी किया गया है। आशा है, पाठक वर्ग को यह उपन्यास पसंद आएगा।