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‘‘यादो के कुछ मोती‘‘का द्वितीय संस्करण आपके समक्ष है... ये नाम मैंने इसलिए चुना क्योंकि इसमें संकलित कविताएं मेरे जीवन के किसी एक पहलू की साक्षी नहीं है, बल्कि यूनिवर्सिटी में मेरे अध्ययन के दौरान, M.A. अंतिम वर्ष, जब से मैंने लिखना शुरू किया और फिर एक वर्ष का अंतराल, जो मेरे जीवन में एक रिक्त स्थान की तरह आया.... फिर विवाह, बच्चे, उनका बचपन, अचानक पति की मृत्यु, जीवन की एक दूसरी पारी की शुरुआत.. यानी लगभग 27-28 वर्षो की यादो के वो बिखरे मोती है, जो किसी कविता में आपको किसी कॉलेज की लड़की से रूबरू करवाते है, जो सम्बन्ध के सूखने से दुखी है, तो कभी एक लड़की, जो बहुत कुछ करना चाहती है पर स्वयं को सामाजिक बंधनो में जकड़ा हुआ महसूस करती है और जब ईश्वर से भी सहायता नहीं मिलती है तब उसकी खंडित आस्था एक कविता में बोल उठती है। स्त्री के जीवन का सबसे सुन्दर पहलू है मातृत्व... बच्चो को जीवन चक्र से परिचित करना भी उसका ही धर्म है। प्रकृति से प्रभावित हुए बिना कवि की रचनात्मकता संदेहास्पद लगने लगती है... पतझड़, सावन, बसंत, बहार मुझे भी अतिप्रिय है ,यत्र-तत्र आपको उनकी झलकियां मिलेंगी। यह मेरा पहला संकलन है जो दरअसल एक स्मृति यात्रा है, जो आप सब सुधी पाठको से आज साझा कर रही हूँ... आशा है बड़ो से आशीर्वाद, छोटो से स्नेह व सभी से सहयोग अवश्य मिलेगा...